ज़बूर 70
दुश्मन से नजात की दुआ
1दाऊद का ज़बूर। मूसीक़ी के राहनुमा के लिए। याददाश्त के लिए।
ऐ अल्लाह, जल्दी से आ कर मुझे बचा! ऐ रब्ब, मेरी मदद करने में जल्दी कर!
2मेरे जानी दुश्मन शर्मिन्दा हो जाएँ, उन की सख़्त रुस्वाई हो जाए। जो मेरी मुसीबत देखने से लुत्फ़ उठाते हैं वह पीछे हट जाएँ, उन का मुँह काला हो जाए।
3जो मेरी मुसीबत देख कर क़ह्क़हा लगाते हैं वह शर्म के मारे पुश्त दिखाएँ।
4लेकिन तेरे तालिब शादमान हो कर तेरी ख़ुशी मनाएँ। जिन्हें तेरी नजात पियारी है वह हमेशा कहें, “अल्लाह अज़ीम है!”
5लेकिन मैं नाचार और मुह्ताज हूँ। ऐ अल्लाह, जल्दी से मेरे पास आ! तू ही मेरा सहारा और मेरा नजातदिहन्दा है। ऐ रब्ब, देर न कर