ज़बूर 7

इन्साफ़ के लिए दुआ

1दाऊद का वह मातमी गीत जो उस ने कूश बिन्यमीनी की बातों पर रब्ब की तम्जीद में गाया।

ऐ रब्ब मेरे ख़ुदा, मैं तुझ में पनाह लेता हूँ। मुझे उन सब से बचा कर छुटकारा दे जो मेरा ताक़्क़ुब कर रहे हैं,

2वर्ना वह शेरबबर की तरह मुझे फाड़ कर टुकड़े टुकड़े कर देंगे, और बचाने वाला कोई नहीं होगा।

3ऐ रब्ब मेरे ख़ुदा, अगर मुझ से यह कुछ सरज़द हुआ और मेरे हाथ क़ुसूरवार हों,

4अगर मैं ने उस से बुरा सुलूक किया जिस का मेरे साथ झगड़ा नहीं था या अपने दुश्मन को ख़्वाह-म-ख़्वाह लूट लिया हो

5तो फिर मेरा दुश्मन मेरे पीछे पड़ कर मुझे पकड़ ले। वह मेरी जान को मिट्टी में कुचल दे, मेरी इज़्ज़त को ख़ाक में मिलाए। (सिलाह)

6ऐ रब्ब, उठ और अपना ग़ज़ब दिखा! मेरे दुश्मनों के तैश के ख़िलाफ़ खड़ा हो जा। मेरी मदद करने के लिए जाग उठ! तू ने ख़ुद अदालत का हुक्म दिया है।

7अक़्वाम तेरे इर्दगिर्द जमा हो जाएँ जब तू उन के ऊपर बुलन्दियों पर तख़्तनशीन हो जाए।

8रब्ब अक़्वाम की अदालत करता है। ऐ रब्ब, मेरी रास्तबाज़ी और बेगुनाही का लिहाज़ करके मेरा इन्साफ़ कर।

9ऐ रास्त ख़ुदा, जो दिल की गहराइयों को तह तक जाँच लेता है, बेदीनों की शरारतें ख़त्म कर और रास्तबाज़ को क़ाइम रख।

10अल्लाह मेरी ढाल है। जो दिल से सीधी राह पर चलते हैं उन्हें वह रिहाई देता है।

11अल्लाह आदिल मुन्सिफ़ है, ऐसा ख़ुदा जो रोज़ाना लोगों की सरज़निश करता है।

12यक़ीनन इस वक़्त भी दुश्मन अपनी तल्वार को तेज़ कर रहा, अपनी कमान को तान कर निशाना बाँध रहा है।

13लेकिन जो मुहलक हथियार और जलते हुए तीर उस ने तय्यार कर रखे हैं उन की ज़द में वह ख़ुद ही आ जाएगा।

14देख, बुराई का बीज उस में उग आया है। अब वह शरारत से हामिला हो कर फिरता और झूट के बच्चे जन्म देता है।

15लेकिन जो गढ़ा उस ने दूसरों को फंसाने के लिए खोद खोद कर तय्यार किया उस में ख़ुद गिर पड़ा है।

16वह ख़ुद अपनी शरारत की ज़द में आएगा, उस का ज़ुल्म उस के अपने सर पर नाज़िल होगा।

17मैं रब्ब की सिताइश करूँगा, क्यूँकि वह रास्त है। मैं रब्ब तआला के नाम की तारीफ़ में गीत गाऊँगा।