ज़बूर 51

मुझ जैसे गुनाहगार पर रहम कर! (तौबा का चौथा ज़बूर)

1दाऊद का ज़बूर। मूसीक़ी के राहनुमा के लिए। यह गीत उस वक़्त से मुताल्लिक़ है जब दाऊद के बत-सबा के साथ ज़िना करने के बाद नातन नबी उस के पास आया।

ऐ अल्लाह, अपनी शफ़्क़त के मुताबिक़ मुझ पर मेहरबानी कर, अपने बड़े रहम के मुताबिक़ मेरी सरकशी के दाग़ मिटा दे।

2मुझे धो दे ताकि मेरा क़ुसूर दूर हो जाए, जो गुनाह मुझ से सरज़द हुआ है उस से मुझे पाक कर।

3क्यूँकि मैं अपनी सरकशी को मानता हूँ, और मेरा गुनाह हमेशा मेरे सामने रहता है।

4मैं ने तेरे, सिर्फ़ तेरे ही ख़िलाफ़ गुनाह किया, मैं ने वह कुछ किया जो तेरी नज़र में बुरा है। क्यूँकि लाज़िम है कि तू बोलते वक़्त रास्त ठहरे और अदालत करते वक़्त पाकीज़ा साबित हो जाए।

5यक़ीनन मैं गुनाहआलूदा हालत में पैदा हुआ। जूँ ही मैं माँ के पेट में वुजूद में आया तो गुनाहगार था।

6यक़ीनन तू बातिन की सच्चाई पसन्द करता और पोशीदगी में मुझे हिक्मत की तालीम देता है।

7ज़ूफ़ा ले कर मुझ से गुनाह दूर कर ताकि पाक-साफ़ हो जाऊँ। मुझे धो दे ताकि बर्फ़ से ज़ियादा सफ़ेद हो जाऊँ।

8मुझे दुबारा ख़ुशी और शादमानी सुनने दे ताकि जिन हड्डियों को तू ने कुचल दिया वह शादियाना बजाएँ।

9अपने चिहरे को मेरे गुनाहों से फेर ले, मेरा तमाम क़ुसूर मिटा दे।

10ऐ अल्लाह, मेरे अन्दर पाक दिल पैदा कर, मुझ में नए सिरे से साबितक़दम रूह क़ाइम कर।

11मुझे अपने हुज़ूर से ख़ारिज न कर, न अपने मुक़द्दस रूह को मुझ से दूर कर।

12मुझे दुबारा अपनी नजात की ख़ुशी दिला, मुझे मुस्तइद रूह अता करके सँभाले रख।

13तब मैं उन्हें तेरी राहों की तालीम दूँगा जो तुझ से बेवफ़ा हो गए हैं, और गुनाहगार तेरे पास वापस आएँगे।

14ऐ अल्लाह, मेरी नजात के ख़ुदा, क़त्ल का क़ुसूर मुझ से दूर करके मुझे बचा। तब मेरी ज़बान तेरी रास्ती की हम्द-ओ-सना करेगी।

15ऐ रब्ब, मेरे होंटों को खोल ताकि मेरा मुँह तेरी सिताइश करे।

16क्यूँकि तू ज़बह की क़ुर्बानी नहीं चाहता, वर्ना मैं वह पेश करता। भस्म होने वाली क़ुर्बानियाँ तुझे पसन्द नहीं।

17अल्लाह को मन्ज़ूर क़ुर्बानी शिकस्ता रूह है। ऐ अल्लाह, तू शिकस्ता और कुचले हुए दिल को हक़ीर नहीं जानेगा।

18अपनी मेहरबानी का इज़्हार करके सिय्यून को ख़ुशहाली बख़्श, यरूशलम की फ़सील तामीर कर।

19तब तुझे हमारी सहीह क़ुर्बानियाँ, हमारी भस्म होने वाली और मुकम्मल क़ुर्बानियाँ पसन्द आएँगी । तब तेरी क़ुर्बानगाह पर बैल चढ़ाए जाएँगे।