ज़बूर 3
सुब्ह को मदद के लिए दुआ
1दाऊद का ज़बूर। उस वक़्त जब उसे अपने बेटे अबीसलूम से भागना पड़ा।
ऐ रब्ब, मेरे दुश्मन कितने ज़ियादा हैं, कितने लोग मेरे ख़िलाफ़ उठ खड़े हुए हैं!
2मेरे बारे में बहुतेरे कह रहे हैं, “अल्लाह इसे छुटकारा नहीं देगा।” (सिलाह [a] सिलाह ग़ालिबन गाने बजाने के बारे में कोई हिदायत है। मुफ़स्सिरीन में इस के मतलब के बारे में इत्तिफ़ाक़-ए-राय नहीं होती। )
3लेकिन तू ऐ रब्ब, चारों तरफ़ मेरी हिफ़ाज़त करने वाली ढाल है। तू मेरी इज़्ज़त है जो मेरे सर को उठाए रखता है।
4मैं बुलन्द आवाज़ से रब्ब को पुकारता हूँ, और वह अपने मुक़द्दस पहाड़ से मेरी सुनता है। (सिलाह)
5मैं आराम से लेट कर सो गया, फिर जाग उठा, क्यूँकि रब्ब ख़ुद मुझे सँभाले रखता है।
6उन हज़ारों से मैं नहीं डरता जो मुझे घेरे रखते हैं।
7ऐ रब्ब, उठ! ऐ मेरे ख़ुदा, मुझे रिहा कर! क्यूँकि तू ने मेरे तमाम दुश्मनों के मुँह पर थप्पड़ मारा, तू ने बेदीनों के दाँतों को तोड़ दिया है।
8रब्ब के पास नजात है। तेरी बर्कत तेरी क़ौम पर आए। (सिलाह