ज़बूर 124
मुसीबत में अल्लाह हमारा सहारा है
1इस्राईल कहे, “अगर रब्ब हमारे साथ न होता,
2अगर रब्ब हमारे साथ न होता जब लोग हमारे ख़िलाफ़ उठे
3और आग-बगूला हो कर अपना पूरा ग़ुस्सा हम पर उतारा, तो वह हमें ज़िन्दा हड़प कर लेते।
4फिर सैलाब हम पर टूट पड़ता, नदी का तेज़ धारा हम पर ग़ालिब आ जाता
5और मुतलातिम पानी हम पर से गुज़र जाता।”
6रब्ब की हम्द हो जिस ने हमें उन के दाँतों के हवाले न किया, वर्ना वह हमें फाड़ खाते।
7हमारी जान उस चिड़िया की तरह छूट गई है जो चिड़ीमार के फंदे से निकल कर उड़ गई है। फंदा टूट गया है, और हम बच निकले हैं।
8रब्ब का नाम, हाँ उसी का नाम हमारा सहारा है जो आस्मान-ओ-ज़मीन का ख़ालिक़ है।