होसेअ 7
8इस्राईल दीगर अक़्वाम के साथ मिल कर एक हो गया है। अब वह उस रोटी की मानिन्द है जो तवे पर सिर्फ़ एक तरफ़ से पक गई है, दूसरी तरफ़ से कच्ची ही है। 9ग़ैरमुल्की उस की ताक़त खा खा कर उसे कमज़ोर कर रहे हैं, लेकिन अभी तक उसे पता नहीं चला। उस के बाल सफ़ेद हो गए हैं, लेकिन अभी तक उसे मालूम नहीं हुआ। 10इस्राईल का तकब्बुर उस के ख़िलाफ़ गवाही देता है। तो भी न वह रब्ब अपने ख़ुदा के पास वापस आ जाता, न उसे तलाश करता है।
11इस्राईल नासमझ कबूतर की मानिन्द है जिसे आसानी से वरग़लाया जा सकता है। पहले वह मिस्र को मदद के लिए बुलाता, फिर असूर के पास भाग जाता है। 12लेकिन जूँ ही वह कभी इधर कभी इधर दौड़ेंगे तो मैं उन पर अपना जाल डालूँगा, उन्हें उड़ते हुए परिन्दों की तरह नीचे उतारूँगा। मैं उन की यूँ तादीब करूँगा जिस तरह उन की जमाअत को आगाह किया गया है।
13उन पर अफ़्सोस, क्यूँकि वह मुझ से भाग गए हैं। उन पर तबाही आए, क्यूँकि वह मुझ से सरकश हो गए हैं। मैं फ़िद्या दे कर उन्हें छुड़ाना चाहता था, लेकिन जवाब में वह मेरे बारे में झूट बोलते हैं। 14वह ख़ुलूसदिली से मुझ से इल्तिजा नहीं करते। वह बिस्तर पर लेटे लेटे “हाय हाय” करते और ग़ल्ला और अंगूर को हासिल करने के लिए अपने आप को ज़ख़्मी करते हैं। लेकिन मुझ से वह दूर रहते हैं।
15मैं ही ने उन्हें तर्बियत दी, मैं ही ने उन्हें तक़वियत दी, लेकिन वह मेरे ख़िलाफ़ बुरे मन्सूबे बाँधते हैं। 16वह तौबा करके वापस आ जाते हैं, लेकिन मेरे पास नहीं, लिहाज़ा वह ढीली कमान जैसे बेकार हो गए हैं। चुनाँचे उन के राहनुमा कुफ़्र बकने के सबब से तल्वार की ज़द में आ कर हलाक हो जाएँगे। इस बात के बाइस वह मिस्र में मज़ाक़ का निशाना बन जाएँगे।