इस्तिस्ना 21

नामालूम क़त्ल का कफ़्फ़ारा

1जब तू उस मुल्क में आबाद होगा जो रब्ब तुझे मीरास में दे रहा है ताकि तू उस पर क़ब्ज़ा करे तो हो सकता है कि कोई लाश खुले मैदान में कहीं पड़ी पाई जाए। अगर मालूम न हो कि किस ने उसे क़त्ल किया है 2तो पहले इर्दगिर्द के शहरों के बुज़ुर्ग और क़ाज़ी आ कर पता करें कि कौन सा शहर लाश के ज़ियादा क़रीब है। 3फिर उस शहर के बुज़ुर्ग एक जवान गाय चुन लें जो कभी काम के लिए इस्तेमाल नहीं हुई। 4वह उसे एक ऐसी वादी में ले जाएँ जिस में न कभी हल चलाया गया, न पौदे लगाए गए हों। वादी में ऐसी नहर हो जो पूरा साल बहती रहे। वहीं बुज़ुर्ग जवान गाय की गर्दन तोड़ डालें।

5फिर लावी के क़बीले के इमाम क़रीब आएँ। क्यूँकि रब्ब तुम्हारे ख़ुदा ने उन्हें चुन लिया है ताकि वह ख़िदमत करें, रब्ब के नाम से बर्कत दें और तमाम झगड़ों और हम्लों का फ़ैसला करें। 6उन के देखते देखते शहर के बुज़ुर्ग अपने हाथ गाय की लाश के ऊपर धो लें। 7साथ साथ वह कहें, “हम ने इस शख़्स को क़त्ल नहीं किया, न हम ने देखा कि किस ने यह किया। 8ऐ रब्ब, अपनी क़ौम इस्राईल का यह कफ़्फ़ारा क़बूल फ़रमा जिसे तू ने फ़िद्या दे कर छुड़ाया है। अपनी क़ौम इस्राईल को इस बेक़ुसूर के क़त्ल का क़ुसूरवार न ठहरा।” तब मक़्तूल का कफ़्फ़ारा दिया जाएगा।

9यूँ तू ऐसे बेक़ुसूर शख़्स के क़त्ल का दाग़ अपने दर्मियान से मिटा देगा। क्यूँकि तू ने वही कुछ किया होगा जो रब्ब की नज़र में दुरुस्त है।

जंगी क़ैदी औरत से शादी

10हो सकता है कि तू अपने दुश्मन से जंग करे और रब्ब तुम्हारा ख़ुदा तुझे फ़त्ह बख़्शे। जंगी क़ैदियों को जमा करते वक़्त 11तुझे उन में से एक ख़ूबसूरत औरत नज़र आती है जिस के साथ तेरा दिल लग जाता है। तू उस से शादी कर सकता है। 12उसे अपने घर में ले आ। वहाँ वह अपने सर के बालों को मुंडवाए, अपने नाख़ुन तराशे 13और अपने वह कपड़े उतारे जो वह पहने हुए थी जब उसे क़ैद किया गया। वह पूरे एक महीने तक अपने वालिदैन के लिए मातम करे। फिर तू उस के पास जा कर उस के साथ शादी कर सकता है।

14अगर वह तुझे किसी वक़्त पसन्द न आए तो उसे जाने दे। वह वहाँ जाए जहाँ उस का जी चाहे। तुझे उसे बेचने या उस से लौंडी का सा सुलूक करने की इजाज़त नहीं है, क्यूँकि तू ने उसे मज्बूर करके उस से शादी की है।

पहलौठे के हुक़ूक़

15हो सकता है किसी मर्द की दो बीवियाँ हों। एक को वह पियार करता है, दूसरी को नहीं। दोनों बीवियों के बेटे पैदा हुए हैं, लेकिन जिस बीवी से शौहर मुहब्बत नहीं करता उस का बेटा सब से पहले पैदा हुआ। 16जब बाप अपनी मिल्कियत वसियत में तक़्सीम करता है तो लाज़िम है कि वह अपने सब से बड़े बेटे का मौरूसी हक़ पूरा करे। उसे पहलौठे का यह हक़ उस बीवी के बेटे को मुन्तक़िल करने की इजाज़त नहीं जिसे वह पियार करता है। 17उसे तस्लीम करना है कि उस बीवी का बेटा सब से बड़ा है, जिस से वह मुहब्बत नहीं करता। नतीजतन उसे उस बेटे को दूसरे बेटों की निस्बत दुगना हिस्सा देना पड़ेगा, क्यूँकि वह अपने बाप की ताक़त का पहला इज़्हार है। उसे पहलौठे का हक़ हासिल है।

सरकश बेटा

18हो सकता है कि किसी का बेटा हटधर्म और सरकश हो। वह अपने वालिदैन की इताअत नहीं करता और उन के तम्बीह करने और सज़ा देने पर भी उन की नहीं सुनता। 19इस सूरत में वालिदैन उसे पकड़ कर शहर के दरवाज़े पर ले जाएँ जहाँ बुज़ुर्ग जमा होते हैं। 20वह बुज़ुर्गों से कहें, “हमारा बेटा हटधर्म और सरकश है। वह हमारी इताअत नहीं करता बल्कि अय्याश और शराबी है।” 21यह सुन कर शहर के तमाम मर्द उसे संगसार करें। यूँ तू अपने दर्मियान से बुराई मिटा देगा। तमाम इस्राईल यह सुन कर डर जाएगा।

सज़ा-ए-मौत पाने वाले को उसी दिन दफ़नाना है

22जब तू किसी को सज़ा-ए-मौत दे कर उस की लाश किसी लकड़ी या दरख़्त से लटकाता है 23तो उसे अगली सुब्ह तक वहाँ न छोड़ना। हर सूरत में उसे उसी दिन दफ़ना देना, क्यूँकि जिसे भी दरख़्त से लटकाया गया है उस पर अल्लाह की लानत है। अगर उसे उसी दिन दफ़नाया न जाए तो तू उस मुल्क को नापाक कर देगा जो रब्ब तेरा ख़ुदा तुझे मीरास में दे रहा है।