2 तवारीख़ 11
रहुबिआम को इस्राईल से लड़ने की इजाज़त नहीं मिलती
1जब रहुबिआम यरूशलम पहुँचा तो उस ने यहूदाह और बिन्यमीन के क़बीलों के चीदा चीदा फ़ौजियों को इस्राईल से जंग करने के लिए बुलाया। 1,80,000 मर्द जमा हुए ताकि रहुबिआम के लिए इस्राईल पर दुबारा क़ाबू पाएँ। 2लेकिन ऐन उस वक़्त मर्द-ए-ख़ुदा समायाह को रब्ब की तरफ़ से पैग़ाम मिला, 3“यहूदाह के बादशाह रहुबिआम बिन सुलेमान और यहूदाह और बिन्यमीन के तमाम अफ़राद को इत्तिला दे, 4‘रब्ब फ़रमाता है कि अपने भाइयों से जंग मत करना। हर एक अपने अपने घर वापस चला जाए, क्यूँकि जो कुछ हुआ है वह मेरे हुक्म पर हुआ है’।”
तब वह रब्ब की सुन कर यरुबिआम से लड़ने से बाज़ आए।
रहुबिआम की क़िलआबन्दी
5रहुबिआम का दार-उल-हकूमत यरूशलम रहा। यहूदाह में उस ने ज़ैल के शहरों की क़िलआबन्दी की : 6बैत-लहम, ऐताम, तक़ूअ, 7बैत-सूर, सोका, अदुल्लाम, 8जात, मरेसा, ज़ीफ़, 9अदूराईम, लकीस, अज़ीक़ा, 10सुरआ, अय्यालोन और हब्रून। यहूदाह और बिन्यमीन के इन क़िलआबन्द शहरों को 11मज़्बूत करके रहुबिआम ने हर शहर पर अफ़्सर मुक़र्रर किए। उन में उस ने ख़ुराक, ज़ैतून के तेल और मै का ज़ख़ीरा कर लिया 12और साथ साथ उन में ढालें और नेज़े भी रखे। इस तरह उस ने उन्हें बहुत मज़्बूत बना कर यहूदाह और बिन्यमीन पर अपनी हुकूमत मह्फ़ूज़ कर ली।
इमाम और लावी यहूदाह में मुन्तक़िल हो जाते हैं
13गो इमाम और लावी तमाम इस्राईल में बिखरे रहते थे तो भी उन्हों ने रहुबिआम का साथ दिया। 14अपनी चरागाहों और मिल्कियत को छोड़ कर वह यहूदाह और यरूशलम में आबाद हुए, क्यूँकि यरुबिआम और उस के बेटों ने उन्हें इमाम की हैसियत से रब्ब की ख़िदमत करने से रोक दिया था। 15उन की जगह उस ने अपने ज़ाती इमाम मुक़र्रर किए जो ऊँची जगहों पर के मन्दिरों को सँभालते हुए बक्रे के देवताओं और बछड़े के बुतों की ख़िदमत करते थे। 16लावियों की तरह तमाम क़बीलों के बहुत से ऐसे लोग यहूदाह में मुन्तक़िल हुए जो पूरे दिल से रब्ब इस्राईल के ख़ुदा के तालिब रहे थे। वह यरूशलम आए ताकि रब्ब अपने बापदादा के ख़ुदा को क़ुर्बानियाँ पेश कर सकें। 17यहूदाह की सल्तनत ने ऐसे लोगों से तक़वियत पाई। वह रहुबिआम बिन सुलेमान के लिए तीन साल तक मज़्बूती का सबब थे, क्यूँकि तीन साल तक यहूदाह दाऊद और सुलेमान के अच्छे नमूने पर चलता रहा।
रहुबिआम का ख़ान्दान
18रहुबिआम की शादी महलत से हुई जो यरीमोत और अबीख़ैल की बेटी थी। यरीमोत दाऊद का बेटा और अबीख़ैल इलियाब बिन यस्सी की बेटी थी। 19महलत के तीन बेटे यऊस, समरियाह और ज़हम पैदा हुए। 20बाद में रहुबिआम की माका बिन्त अबीसलूम से शादी हुई। इस रिश्ते से चार बेटे अबियाह, अत्ती, ज़ीज़ा और सलूमीत पैदा हुए। 21रहुबिआम की 18 बीवियाँ और 60 दाश्ताएँ थीं। इन के कुल 28 बेटे और 60 बेटियाँ पैदा हुईं। लेकिन माका बिन्त अबीसलूम रहुबिआम को सब से ज़ियादा पियारी थी। 22उस ने माका के पहलौठे अबियाह को उस के भाइयों का सरबराह बना दिया और मुक़र्रर किया कि यह बेटा मेरे बाद बादशाह बनेगा। 23रहुबिआम ने अपने बेटों से बड़ी समझदारी के साथ सुलूक किया, क्यूँकि उस ने उन्हें अलग अलग करके यहूदाह और बिन्यमीन के पूरे क़बाइली इलाक़े और तमाम क़िलआबन्द शहरों में बसा दिया। साथ साथ वह उन्हें कस्रत की ख़ुराक और बीवियाँ मुहय्या करता रहा।