1 तवारीख़ 6
इमाम-ए-आज़म की नसल (लावी का क़बीला)
1लावी के बेटे जैर्सोन, क़िहात और मिरारी थे। 2क़िहात के बेटे अम्राम, इज़्हार , हब्रून और उज़्ज़ीएल थे।
3अम्राम के बेटे हारून और मूसा थे। बेटी का नाम मरियम था। हारून के बेटे नदब, अबीहू, इलीअज़र और इतमर थे।
4इलीअज़र के हाँ फ़ीन्हास पैदा हुआ, फ़ीन्हास के अबीसूअ, 5अबीसूअ के बुक़्क़ी, बुक़्क़ी के उज़्ज़ी, 6उज़्ज़ी के ज़रख़ियाह, ज़रख़ियाह के मिरायोत, 7मिरायोत के अमरियाह, अमरियाह के अख़ीतूब, 8अख़ीतूब के सदोक़, सदोक़ के अख़ीमाज़, 9अख़ीमाज़ के अज़रियाह, अज़रियाह के यूहनान 10और यूहनान के अज़रियाह। यही अज़रियाह रब्ब के उस घर का पहला इमाम-ए-आज़म था जो सुलेमान ने यरूशलम में बनवाया था। 11उस के हाँ अमरियाह पैदा हुआ, अमरियाह के अख़ीतूब, 12अख़ीतूब के सदोक़, सदोक़ के सल्लूम, 13सल्लूम के ख़िलक़ियाह, ख़िलक़ियाह के अज़रियाह, 14अज़रियाह के सिरायाह और सिरायाह के यहूसदक़। 15जब रब्ब ने नबूकद्नज़्ज़र के हाथ से यरूशलम और पूरे यहूदाह के बाशिन्दों को जिलावतन कर दिया तो यहूसदक़ भी उन में शामिल था।
लावी की औलाद
16लावी के तीन बेटे जैर्सोम, क़िहात और मिरारी थे। 17जैर्सोम के दो बेटे लिब्नी और सिमई थे। 18क़िहात के चार बेटे अम्राम, इज़्हार , हब्रून और उज़्ज़ीएल थे। 19मिरारी के दो बेटे महली और मूशी थे।
ज़ैल में लावी के ख़ान्दानों की फ़हरिस्त उन के बानियों के मुताबिक़ दर्ज है।
20जैर्सोम के हाँ लिब्नी पैदा हुआ, लिब्नी के यहत, यहत के ज़िम्मा, 21ज़िम्मा के यूआख़, यूआख़ के इद्दू, इद्दू के ज़ारह और ज़ारह के यतरी।
22क़िहात के हाँ अम्मीनदाब पैदा हुआ, अम्मीनदाब के क़ोरह, क़ोरह के अस्सीर, 23अस्सीर के इल्क़ाना, इल्क़ाना के अबियासफ़, अबियासफ़ के अस्सीर, 24अस्सीर के तहत, तहत के ऊरीएल, ऊरीएल के उज़्ज़ियाह और उज़्ज़ियाह के साऊल। 25इल्क़ाना के बेटे अमासी, अख़ीमोत 26और इल्क़ाना थे। इल्क़ाना के हाँ ज़ूफ़ी पैदा हुआ, ज़ूफ़ी के नहत, 27नहत के इलियाब, इलियाब के यरोहाम, यरोहाम के इल्क़ाना और इल्क़ाना के समूएल। 28समूएल का पहला बेटा योएल और दूसरा अबियाह था।
29मिरारी के हाँ महली पैदा हुआ, महली के लिब्नी, लिब्नी के सिमई, सिमई के उज़्ज़ा, 30उज़्ज़ा के सिमआ, सिमआ के हज्जियाह और हजयाह के असायाह।
लावी की ज़िम्मादारियाँ
31जब अह्द का सन्दूक़ यरूशलम में लाया गया ताकि आइन्दा वहाँ रहे तो दाऊद बादशाह ने कुछ लावियों को रब्ब के घर में गीत गाने की ज़िम्मादारी दी। 32इस से पहले कि सुलेमान ने रब्ब का घर बनवाया यह लोग अपनी ख़िदमत मुलाक़ात के ख़ैमे के सामने सरअन्जाम देते थे। वह सब कुछ मुक़र्ररा हिदायात के मुताबिक़ अदा करते थे। 33ज़ैल में उन के नाम उन के बेटों के नामों समेत दर्ज हैं।
क़िहात के ख़ान्दान का हैमान पहला गुलूकार था। उस का पूरा नाम यह था : हैमान बिन योएल बिन समूएल 34बिन इल्क़ाना बिन यरोहाम बिन इलीएल बिन तूख़ 35बिन सूफ़ बिन इल्क़ाना बिन महत बिन अमासी 36बिन इल्क़ाना बिन योएल बिन अज़रियाह बिन सफ़नियाह 37बिन तहत बिन अस्सीर बिन अबियासफ़ बिन क़ोरह 38बिन इज़्हार बिन क़िहात बिन लावी बिन इस्राईल।
39हैमान के दहने हाथ आसफ़ खड़ा होता था। उस का पूरा नाम यह था : आसफ़ बिन बरकियाह बिन सिमआ 40बिन मीकाएल बिन बासियाह बिन मल्कियाह 41बिन अत्नी बिन ज़ारह बिन अदायाह 42बिन ऐतान बिन ज़िम्मा बिन सिमई 43बिन यहत बिन जैर्सोम बिन लावी।
44हैमान के बाएँ हाथ ऐतान खड़ा होता था। वह मिरारी के ख़ान्दान का फ़र्द था। उस का पूरा नाम यह था : ऐतान बिन क़ीसी बिन अब्दी बिन मल्लूक 45बिन हसबियाह बिन अमसियाह बिन ख़िलक़ियाह 46बिन अम्सी बिन बानी बिन समर 47बिन महली बिन मूशी बिन मिरारी बिन लावी।
48दूसरे लावियों को अल्लाह की सुकूनतगाह में बाक़ीमान्दा ज़िम्मादारियाँ दी गई थीं।
49लेकिन सिर्फ़ हारून और उस की औलाद भस्म होने वाली क़ुर्बानियाँ पेश करते और बख़ूर की क़ुर्बानगाह पर बख़ूर जलाते थे। वही मुक़द्दसतरीन कमरे में हर ख़िदमत सरअन्जाम देते थे। इस्राईल का कफ़्फ़ारा देना उन ही की ज़िम्मादारी थी। वह सब कुछ ऐन उन हिदायात के मुताबिक़ अदा करते थे जो अल्लाह के ख़ादिम मूसा ने उन्हें दी थीं।
50हारून के हाँ इलीअज़र पैदा हुआ, इलीअज़र के फ़ीन्हास, फ़ीन्हास के अबीसूअ, 51अबीसूअ के बुक़्क़ी, बुक़्क़ी के उज़्ज़ी, उज़्ज़ी के ज़रख़ियाह, 52ज़रख़ियाह के मिरायोत, मिरायोत के अमरियाह, अमरियाह के अख़ीतूब, 53अख़ीतूब के सदोक़, सदोक़ के अख़ीमाज़।
लावियों की आबादियाँ
54ज़ैल में वह आबादियाँ और चरागाहें दर्ज हैं जो लावियों को क़ुरआ डाल कर दी गईं।
क़ुरआ डालते वक़्त पहले हारून के बेटे क़िहात की औलाद को जगहें मिल गईं। 55उसे यहूदाह के क़बीले से हब्रून शहर उस की चरागाहों समेत मिल गया। 56लेकिन गिर्द-ओ-नवाह के खेत और दीहात कालिब बिन यफ़ुन्ना को दिए गए। 57हब्रून उन शहरों में शामिल था जिन में हर वह पनाह ले सकता था जिस के हाथों ग़ैरइरादी तौर पर कोई हलाक हुआ हो। हब्रून के इलावा हारून की औलाद को ज़ैल के मक़ाम उन की चरागाहों समेत दिए गए : लिब्ना, यत्तीर, इस्तिमूअ, 58हौलून, दबीर, 59असन, और बैत-शम्स। 60बिन्यमीन के क़बीले से उन्हें जिबऊन, जिबा, अलमत और अनतोत उन की चरागाहों समेत दिए गए। इस तरह हारून के ख़ान्दान को 13 शहर मिल गए।
61क़िहात के बाक़ी ख़ान्दानों को मनस्सी के मग़रिबी हिस्से के दस शहर मिल गए।
62जैर्सोम की औलाद को इश्कार, आशर, नफ़्ताली और मनस्सी के क़बीलों के 13 शहर दिए गए। यह मनस्सी का वह इलाक़ा था जो दरया-ए-यर्दन के मशरिक़ में मुल्क-ए-बसन में था।
63मिरारी की औलाद को रूबिन, जद और ज़बूलून के क़बीलों के 12 शहर मिल गए।
64-65 यूँ इस्राईलियों ने क़ुरआ डाल कर लावियों को मज़्कूरा शहर दे दिए। सब यहूदाह, शमाऊन और बिन्यमीन के क़बाइली इलाक़ों में थे।
66क़िहात के चन्द एक ख़ान्दानों को इफ़्राईम के क़बीले से शहर उन की चरागाहों समेत मिल गए। 67इन में इफ़्राईम के पहाड़ी इलाक़े का शहर सिकम शामिल था जिस में हर वह पनाह ले सकता था जिस से कोई ग़ैरइरादी तौर पर हलाक हुआ होता था, फिर जज़र, 68युक़्मिआम, बैत-हौरून, 69अय्यालोन और जात-रिम्मोन। 70क़िहात के बाक़ी कुंबों को मनस्सी के मग़रिबी हिस्से के दो शहर आनेर और बलआम उन की चरागाहों समेत मिल गए।
71जैर्सोम की औलाद को ज़ैल के शहर भी उन की चरागाहों समेत मिल गए : मनस्सी के मशरिक़ी हिस्से से जौलान जो बसन में है और अस्तारात। 72इश्कार के क़बीले से क़ादिस, दाबरत, 73रामात और आनीम। 74आशर के क़बीले से मिसाल, अब्दोन, 75हुक़ूक़ और रहोब। 76और नफ़्ताली के क़बीले से गलील का क़ादिस, हम्मून और क़िर्यताइम।
77मिरारी के बाक़ी ख़ान्दानों को ज़ैल के शहर उन की चरागाहों समेत मिल गए : ज़बूलून के क़बीले से रिम्मोन और तबूर। 78-79 रूबिन के क़बीले से रेगिस्तान का बसर, यहज़, क़दीमात और मिफ़ात (यह शहर दरया-ए-यर्दन के मशरिक़ में यरीहू के मुक़ाबिल वाक़े हैं)। 80जद के क़बीले से जिलिआद का रामात, महनाइम, 81हस्बोन और याज़ेर।