1 तवारीख़ 23
1जब दाऊद उम्ररसीदा था तो उस ने अपने बेटे सुलेमान को इस्राईल का बादशाह बना दिया।
ख़िदमत के लिए लावियों के गुरोह
2दाऊद ने इस्राईल के तमाम राहनुमाओं को इमामों और लावियों समेत अपने पास बुला लिया। 3तमाम उन लावियों को गिना गया जिन की उम्र तीस साल या इस से ज़ाइद थी। उन की कुल तादाद 38,000 थी। 4इन्हें दाऊद ने मुख़्तलिफ़ ज़िम्मादारियाँ सौंपीं। 24,000 अफ़राद रब्ब के घर की तामीर के निगरान, 6,000 अफ़्सर और क़ाज़ी, 54,000 दरबान और 4,000 ऐसे मूसीक़ार बन गए जिन्हें दाऊद के बनवाए हुए साज़ों को बजा कर रब्ब की हम्द-ओ-सना करनी थी।
6दाऊद ने लावियों को लावी के तीन बेटों जैर्सोन, क़िहात और मिरारी के मुताबिक़ तीन गुरोहों में तक़्सीम किया।
7जैर्सोन के दो बेटे लादान और सिमई थे। 8लादान के तीन बेटे यहीएल, ज़ैताम और योएल थे। 9सिमई के तीन बेटे सलूमीत, हज़ीएल और हारान थे। यह लादान के घरानों के सरबराह थे। 10-11 सिमई के चार बेटे बड़े से ले कर छोटे तक यहत, ज़ीज़ा, यऊस और बरीआ थे। चूँकि यऊस और बरीआ के कम बेटे थे इस लिए उन की औलाद मिल कर ख़िदमत के लिहाज़ से एक ही ख़ान्दान और गुरोह की हैसियत रखती थी।
12क़िहात के चार बेटे अम्राम, इज़्हार , हब्रून और उज़्ज़ीएल थे। 13अम्राम के दो बेटे हारून और मूसा थे। हारून और उस की औलाद को अलग किया गया ताकि वह हमेशा तक मुक़द्दसतरीन चीज़ों को मख़्सूस-ओ-मुक़द्दस रखें, रब्ब के हुज़ूर क़ुर्बानियाँ पेश करें, उस की ख़िदमत करें और उस के नाम से लोगों को बर्कत दें। 14मर्द-ए-ख़ुदा मूसा के बेटों को बाक़ी लावियों में शुमार किया जाता था। 15मूसा के दो बेटे जैर्सोम और इलीअज़र थे। 16जैर्सोम के पहलौठे का नाम सबूएल था। 17इलीअज़र का सिर्फ़ एक बेटा रहबियाह था। लेकिन रहबियाह की बेशुमार औलाद थी। 18इज़्हार के पहलौठे का नाम सलूमीत था। 19हब्रून के चार बेटे बड़े से ले कर छोटे तक यरियाह, अमरियाह, यहज़ीएल और यक़मिआम थे। 20उज़्ज़ीएल का पहलौठा मीकाह था। दूसरे का नाम यिस्सियाह था।
21मिरारी के दो बेटे महली और मूशी थे। महली के दो बेटे इलीअज़र और क़ीस थे। 22जब इलीअज़र फ़ौत हुआ तो उस की सिर्फ़ बेटियाँ थीं। इन बेटियों की शादी क़ीस के बेटों यानी चचाज़ाद भाइयों से हुई। 23मूशी के तीन बेटे महली, इदर और यरीमोत थे।
24ग़रज़ यह लावी के क़बीले के ख़ान्दान और सरपरस्त थे। हर एक को ख़ान्दानी रजिस्टर में दर्ज किया गया था। इन में से जो रब्ब के घर में ख़िदमत करते थे हर एक की उम्र कम अज़ कम 20 साल थी।
25-27 क्यूँकि दाऊद ने मरने से पहले पहले हुक्म दिया था कि जितने लावियों की उम्र कम अज़ कम 20 साल है, वह ख़िदमत के लिए रजिस्टर में दर्ज किए जाएँ। इस नाते से उस ने कहा था,
“रब्ब इस्राईल के ख़ुदा ने अपनी क़ौम को अम्न-ओ-अमान अता किया है, और अब वह हमेशा के लिए यरूशलम में सुकूनत करेगा। अब से लावियों को मुलाक़ात का ख़ैमा और उस का सामान उठा कर जगह-ब-जगह ले जाने की ज़रूरत नहीं रही। 28अब से वह इमामों की मदद करें जब यह रब्ब के घर में ख़िदमत करते हैं। वह सहनों और छोटे कमरों को सँभालें और ध्यान दें कि रब्ब के घर के लिए मख़्सूस-ओ-मुक़द्दस की गई चीज़ें पाक-साफ़ रहें। उन्हें अल्लाह के घर में कई और ज़िम्मादारियाँ भी सौंपी जाएँ। 29ज़ैल की चीज़ें सँभालना सिर्फ़ उन ही की ज़िम्मादारी है : मख़्सूस-ओ-मुक़द्दस की गई रोटियाँ, ग़ल्ला की नज़रों के लिए मुस्तामल मैदा, बेख़मीरी रोटियाँ पकाने और गूँधने का इन्तिज़ाम। लाज़िम है कि वही तमाम लवाज़िमात को अच्छी तरह तोलें और नापें। 30हर सुब्ह और शाम को उन के गुलूकार रब्ब की हम्द-ओ-सना करें। 31जब भी रब्ब को भस्म होने वाली क़ुर्बानियाँ पेश की जाएँ तो लावी मदद करें, ख़्वाह सबत को, ख़्वाह नए चाँद की ईद या किसी और ईद के मौक़े पर हो। लाज़िम है कि वह रोज़ाना मुक़र्ररा तादाद के मुताबिक़ ख़िदमत के लिए हाज़िर हो जाएँ।”
32इस तरह लावी पहले मुलाक़ात के ख़ैमे में और बाद में रब्ब के घर में अपनी ख़िदमत सरअन्जाम देते रहे। वह रब्ब के घर की ख़िदमत में अपने क़बाइली भाइयों यानी इमामों की मदद करते थे।