1 तवारीख़ 20

रब्बा शहर पर फ़त्ह

1बहार का मौसम आ गया, वह वक़्त जब बादशाह जंग के लिए निकलते हैं। तब योआब ने फ़ौज ले कर अम्मोनियों का मुल्क तबाह कर दिया। लड़ते लड़ते वह रब्बा तक पहुँच गया और उस का मुहासरा करने लगा। लेकिन दाऊद ख़ुद यरूशलम में रहा। फिर योआब ने रब्बा को भी शिकस्त दे कर ख़ाक में मिला दिया। 2दाऊद ने हनून बादशाह का ताज उस के सर से उतार कर अपने सर पर रख लिया। सोने के इस ताज का वज़न 34 किलोग्राम था, और उस में एक बेशक़ीमत जौहर जड़ा हुआ था। दाऊद ने शहर से बहुत सा लूटा हुआ माल ले कर 3उस के बाशिन्दों को ग़ुलाम बना लिया। उन्हें पत्थर काटने की आरियाँ, लोहे की कुदालें और कुल्हाड़ियाँ दी गईं ताकि वह मज़्दूरी करें। यही सुलूक बाक़ी अम्मोनी शहरों के बाशिन्दों के साथ भी किया गया। जंग के इख़तिताम पर दाऊद पूरी फ़ौज के साथ यरूशलम लौट आया।

फ़िलिस्तियों से जंग

4इस के बाद इस्राईलियों को जज़र के क़रीब फ़िलिस्तियों से लड़ना पड़ा। वहाँ सिब्बकी हूसाती ने रफ़ा देओ की औलाद में से एक आदमी को मार डाला जिस का नाम सफ़्फ़ी था। यूँ फ़िलिस्तियों को ताबे कर लिया गया। 5उन से एक और लड़ाई के दौरान इल्हनान बिन याईर ने जाती जालूत के भाई लहमी को मौत के घाट उतार दिया। उस का नेज़ा खड्डी के शहतीर जैसा बड़ा था। 6एक और दफ़ा जात के पास लड़ाई हुई। फ़िलिस्तियों का एक फ़ौजी जो रफ़ा की नसल का था बहुत लम्बा था। उस के हाथों और पैरों की छः छः उंगलियाँ यानी मिल कर 24 उंगलियाँ थीं। 7जब वह इस्राईलियों का मज़ाक़ उड़ाने लगा तो दाऊद के भाई सिमआ के बेटे यूनतन ने उसे मार डाला। 8जात के यह देओ रफ़ा की औलाद थे, और वह दाऊद और उस के फ़ौजियों के हाथों हलाक हुए।