1 तवारीख़ 15

यरूशलम में अह्द के सन्दूक़ के लिए तय्यारियाँ

1यरूशलम के उस हिस्से में जिस का नाम ‘दाऊद का शहर’ पड़ गया था दाऊद ने अपने लिए चन्द इमारतें बनवाईं। उस ने अल्लाह के सन्दूक़ के लिए भी एक जगह तय्यार करके वहाँ ख़ैमा लगा दिया। 2फिर उस ने हुक्म दिया, “सिवा-ए-लावियों के किसी को भी अल्लाह का सन्दूक़ उठाने की इजाज़त नहीं। क्यूँकि रब्ब ने इन ही को रब्ब का सन्दूक़ उठाने और हमेशा के लिए उस की ख़िदमत करने के लिए चुन लिया है।”

3इस के बाद दाऊद ने तमाम इस्राईल को यरूशलम बुलाया ताकि वह मिल कर रब्ब का सन्दूक़ उस जगह ले जाएँ जो उस ने उस के लिए तय्यार कर रखी थी। 4बादशाह ने हारून और बाक़ी लावियों की औलाद को भी बुलाया। 5दर्ज-ए-ज़ैल उन लावी सरपरस्तों की फ़हरिस्त है जो अपने रिश्तेदारों को ले कर आए।

क़िहात के ख़ान्दान से ऊरीएल 120 मर्दों समेत,

6मिरारी के ख़ान्दान से असायाह 220 मर्दों समेत,

7जैर्सोम के ख़ान्दान से योएल 130 मर्दों समेत,

8इलीसफ़न के ख़ान्दान से समायाह 200 मर्दों समेत,

9हब्रून के ख़ान्दान से इलीएल 80 मर्दों समेत,

10उज़्ज़ीएल के ख़ान्दान से अम्मीनदाब 112 मर्दों समेत।

11दाऊद ने दोनों इमामों सदोक़ और अबियातर को मज़्कूरा छः लावी सरपरस्तों समेत अपने पास बुला कर 12उन से कहा, “आप लावियों के सरबराह हैं। लाज़िम है कि आप अपने क़बाइली भाइयों के साथ अपने आप को मख़्सूस-ओ-मुक़द्दस करके रब्ब इस्राईल के ख़ुदा के सन्दूक़ को उस जगह ले जाएँ जो मैं ने उस के लिए तय्यार कर रखी है। 13पहली मर्तबा जब हम ने उसे यहाँ लाने की कोशिश की तो यह आप लावियों के ज़रीए न हुआ, इस लिए रब्ब हमारे ख़ुदा का क़हर हम पर टूट पड़ा। उस वक़्त हम ने उस से दरयाफ़्त नहीं किया था कि उसे उठा कर ले जाने का क्या मुनासिब तरीक़ा है।” 14तब इमामों और लावियों ने अपने आप को मख़्सूस-ओ-मुक़द्दस करके रब्ब इस्राईल के ख़ुदा के सन्दूक़ को यरूशलम लाने के लिए तय्यार किया। 15फिर लावी अल्लाह के सन्दूक़ को उठाने की लकड़ियों से अपने कंधों पर यूँ ही रख कर चल पड़े जिस तरह मूसा ने रब्ब के कलाम के मुताबिक़ फ़रमाया था।

16दाऊद ने लावी सरबराहों को यह हुक्म भी दिया, “अपने क़बीले में से ऐसे आदमियों को चुन लें जो साज़, सितार, सरोद और झाँझ बजाते हुए ख़ुशी के गीत गाएँ।” 17उस ज़िम्मादारी के लिए लावियों ने ज़ैल के आदमियों को मुक़र्रर किया : हैमान बिन योएल, उस का भाई आसफ़ बिन बरकियाह और मिरारी के ख़ान्दान का ऐतान बिन कौसायाह। 18दूसरे मक़ाम पर उन के यह भाई आए : ज़करियाह, याज़ीएल, समीरामोत, यहीएल, उन्नी, इलियाब, बिनायाह, मासियाह, मत्तितियाह, इलीफ़लेहू, मिक़्नियाह, ओबेद-अदोम और यईएल। यह दरबान थे। 19हैमान, आसफ़ और ऐतान गुलूकार थे, और उन्हें पीतल के झाँझ बजाने की ज़िम्मादारी दी गई। 20ज़करियाह, अज़ीएल, समीरामोत, यहीएल, उन्नी, इलियाब, मासियाह और बिनायाह को अलामूत के तर्ज़ पर सितार बजाना था। 21मत्तितियाह, इलीफ़लेहू, मिक़्नियाह, ओबेद-अदोम, यईएल और अज़ज़ियाह को शमीनीत के तर्ज़ पर सरोद बजाने के लिए चुना गया।

22कननियाह ने लावियों की कवाइर की राहनुमाई की, क्यूँकि वह इस में माहिर था।

23-24 बरकियाह, इल्क़ाना, ओबेद-अदोम और यहियाह अह्द के सन्दूक़ के दरबान थे। सबनियाह, यूसफ़त, नतनीएल, अमासी, ज़करियाह, बिनायाह और इलीअज़र को तुरम बजा कर अल्लाह के सन्दूक़ के आगे आगे चलने की ज़िम्मादारी दी गई। सातों इमाम थे।

दाऊद अह्द का सन्दूक़ यरूशलम में ले आता है

25फिर दाऊद, इस्राईल के बुज़ुर्ग और हज़ार हज़ार फ़ौजियों पर मुक़र्रर अफ़्सर ख़ुशी मनाते हुए निकल कर ओबेद-अदोम के घर गए ताकि रब्ब के अह्द का सन्दूक़ वहाँ से ले कर यरूशलम पहुँचाएँ। 26जब ज़ाहिर हुआ कि अल्लाह अह्द के सन्दूक़ को उठाने वाले लावियों की मदद कर रहा है तो सात जवान साँडों और सात मेंढों को क़ुर्बान किया गया। 27दाऊद बारीक कतान का लिबास पहने हुए था, और इस तरह अह्द का सन्दूक़ उठाने वाले लावी, गुलूकार और कवाइर का लीडर कननियाह भी। इस के इलावा दाऊद कतान का बालापोश पहने हुए था। 28तमाम इस्राईली ख़ुशी के नारे लगा लगा कर, नरसिंगे और तुरम फूँक फूँक कर और झाँझ, सितार और सरोद बजा बजा कर रब्ब के अह्द का सन्दूक़ यरूशलम लाए।

29रब्ब का अह्द का सन्दूक़ दाऊद के शहर में दाख़िल हुआ तो दाऊद की बीवी मीकल बिन्त साऊल खिड़की में से जुलूस को देख रही थी। जब बादशाह कूदता और नाचता हुआ नज़र आया तो मीकल ने उसे हक़ीर जाना।